श्रीनगर। प्रसिद्ध कमलेश्वर मंदिर में आदिकाल से चली आ रही घृत कमल पूजा माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शनिवार रात्रि को विधि विधान से संपन्न हुई। इस अवसर पर भगवान शिव को 52 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया और कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी द्वारा दिगंबर अवस्था में लोट परिक्रमा की गई।
भगवान शिव को समर्पित इस विशेष अनुष्ठान को देखने के लिए काफी संख्या में भक्तगण देर रात्रि तक मंदिर परिसर में उपस्थित रहे। प्रातः सभी भक्तों को घी का प्रसाद बांटा गया।
कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत इस पुण्य आयोजन के अवसर पर कमलेश्वर मंदिर पहुंचे। उन्होंने महंत आशुतोष पुरी के साथ कमलेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की।
महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि तारकासुर नामक राक्षस ने ब्रह्मा जी से यह वरदान मांग लिया था कि उसकी मृत्यु केवल शिवजी के पुत्र द्वारा ही संभव है। क्योंकि उसे पता था कि माता पार्वती के सती हो जाने पर शिवजी दूसरा विवाह नहीं करेंगे और उनका कोई पुत्र नहीं होगा। वरदान मिलने के बाद तारकासुर ने पूरे ब्रह्मांड में देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। तारकासुर का वध करने के लिए देवताओं ने कमलेश्वर महादेव में शिव जी को विवाह हेतु मनाने के लिए पूजा की। शिवजी की कामाशक्त भावना को बढ़ाने के लिए देवताओं ने यहां घृत कमल पूजा की। जिसमें शिवलिंग को घी से ढककर विशेष अनुष्ठान किया जाता है। कालांतर में यह पूजा कमलेश्वर महादेव के महंत द्वारा की जाती है। 108 कमल पुष्पों से पूजा कर शिवलिंग को घी से ढका जाता है। तारकासुर रूपी समाज की बुराइयों के शमन एवं जन कल्याण हेतु महंत दिगंबर अवस्था में लोट परिक्रमा करते हैं। पूजा से पूर्व श्रद्धालु अपने-अपने घरों से घी चढ़ाने मंदिर पहुंचते हैं।

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