जोशीमठ के लोगों के मुआवजे, पुनर्वास व पुनर्निर्माण की तत्काल व्यवस्था करने की मांग

श्रीनगर। भाकपा माले के गढ़वाल मंडल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि एक महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद जोशीमठ में आपदा प्रबंधन को लेकर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं है।
पुनर्वास, मुआवजे व पुनर्निर्माण पर सरकार और उसकी प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह विफल साबित हुई है। अपनी असफलता से बचने और लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। श्रीनगर में पत्रकार वार्ता कर मैखुरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2016 से वर्ष 2019 तक उत्तराखंड में आपदा के सर्वेक्षण का आंकलन कराया गया। रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में 6536 भूस्खलन चिन्हित किए गए और भूस्खलन के उपचार के लिए सालाना 180 करोड़ रुपये की जरूरत बताई गई। रिपोर्ट में बताया गया कि जलविद्युत परियोजनाओं को अचानक आने वाली बाढ़ से अत्यधिक खतरा है। रिपोर्ट में खतरा कम करने के लिए रणनीतिक योजना बनाने हेतु चिन्हित जगहों में जोशीमठ शहर भी शामिल था। सर्वेक्षण में विदेशी एजेंसियां को शामिल और भारी धन खर्च करने के बावजूद उक्त रिपोर्ट पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने स्वयं पहल करके स्वतंत्र भू वैज्ञानिकों से नगर का सर्वे करवाने के बाद सरकार हरकत में आई। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 28 जुलाई 2022 को एक कमेटी बनाई गई। जिसमें सब कुछ जनता के मत्थे मढ़ दिया गया। कहा कि उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन के सचिव डॉ.रंजीत सिन्हा पर टिहरी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक बांध प्रभावित महिला के मामले में अदालत में सबूत छुपाने और दूसरे पक्ष से सांठगांठ करने का मुकदमा चल रहा है। ऐसे संवेदनहीन अफसर के रहते आपदा प्रबंधन का काम ठीक तरीके से हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि जोशीमठ के लोगों के मुआवजे, पुनर्वास व पुनर्निर्माण की तत्काल व्यवस्था की जाए और डॉ. रंजीत सिन्हा को उनके पद से हटाया जाए। पत्रकार वार्ता में भाकपा माले के गढ़वाल कमेटी सदस्य योगेन्द्र कांडपाल, शिवानी पांडेय, छात्रसंघ उपाध्यक्ष गढ़वाल विश्वविद्यालय रोबिन असवाल मौजूद थे।

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