श्रीनगर (मनोज उनियाल)। समाज में बड़े से बड़े दानियों के बारे में आपने खूब पढ़ा और सुना होगा। आर्थिक रूप से सक्षम कई लोग गहने,धन,वस्त्र से लेकर अन्न दान भी जमकर करते हैं। यदि आप के अंदर चाह है और किसी की मदद करने की सच्ची भावना है तो आप भी किसी की खुशियों का जरिया बन सकते हैं। स्त्रियों के लिए उनके बाल सबसे प्रिय होते हैं। उनके लिए अपने बाल किसी आभूषण से कम नहीं होते। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की एक लड़की ने अपने बाल कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए दान कर दिये।
बात हो रही है एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा रीना शाही की। रीना ने चार फरवरी को ‘कोप विद कैंसर-मदद चैरिटेबल ट्रस्ट’ को कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए अपने बाल डोनेट कर दिये। ताकि किसी के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान लाने का जरिया वह बन सके।
बाल डोनेट करने से पूर्व कुछ ऐसे थे रीना के बाल
रीना ने बताया कि यह संस्था कैंसर से जूझ रहे पीड़ितों की मदद के लिए लोगों द्वारा डोनेट किये गए बालों को कलेक्ट कर हॉस्पिटल को उपलब्ध कराती है। उनकी इस पहल की सराहना उनके परिजनों से लेकर हर कोई कर रहा है। गढ़वाल विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली उनकी दोस्त शिवानी पांडेय, नेहा, दीपाली, मनीषा व बबीता ने कहा कि स्त्रियों के लिए उनके बाल सबसे प्रिय होते हैं। लेकिन रीना ने बिना किसी संकोच व बिना किसी स्वार्थ के कैंसर पीड़ितों के लिए बाल डोनेट कर समाज में एक मिसाल कायम की है। उन्हें रीना पर गर्व है। रीना शाही गढ़वाल विश्वविद्यालय में एमए (हिंदी) फाइनल इयर की छात्रा हैं। उन्होंने बताया कि बाल डोनेट करने के बारे में अपने परिवार वालों को बताया था। जिसके लिए परिवार के सदस्यों ने उनकी इस पहल की सराहना करते हुए उनका हौंसला बढ़ाया। इससे पूर्व रीना ने देहरादून से बीसीए व एमसीए की पढ़ाई कर दिल्ली, बेंगलुरु आदि जगहों पर जॉब की। इसके बाद वह जॉब करने के लिए दुबई चली गई। दुबई से पुनः उत्तराखंड लौटकर गढ़वाल विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया। कविताएं लिखने का शौक रखने वाली रीना हमेशा कुछ अलग करने की चाह रखती हैं। रीना के पिता चंद्रभानु सिंह शाही पेशे से शिक्षक हैं, जो इन्हें हमेशा कुछ अच्छा करने की प्रेरणा देते हैं।
कीमोथेरेपी के बाद बाल झड़ना एक आम समस्या
कीमोथेरेपी के दौरान अधिकांश कैंसर पीड़ित मरीजों के बाल झड़ना एक आम समस्या है। इस स्थिति में कैंसर मरीजों में एक निराशा का भाव उत्पन्न होता है। खासकर कैंसर पीड़ित महिलाओं में बाल झड़ने के बाद वे बाहर आने जाने में संकोच करती हैं। इस स्थिति से बचने के लिए उन्हें एक अच्छी विग की जरूरत होती है। हालांकि बाजार में विग उपलब्ध हो जाती है। लेकिन अच्छी कंपनी की विग की कीमत 15 से 20 हजार रुपये होती है। महंगी विग खरीदना कई लोगों के बस में नहीं होता। लेकिन कुछ संस्थाएं लोगों द्वारा डोनेट किए गए बालों को कलेक्ट कर हॉस्पिटल तक पहुंचाती हैं। ताकि हॉस्पिटल से ही कैंसर पीड़ितों को आसानी से विग उपलब्ध हो सके।
पुरुष मरीज बाल झड़ने के बाद टोपी पहन कर जल्दी सहज हो जाते हैं। लेकिन महिलाओं के लिए बिना बालों के सहज हो पाना इतना आसान नहीं होता। इस स्थिति में उन्हें कम से कम 12 इंच लंबे बालों से बनी विग की जरूरत होती है। रीना ने अपने 15 इंच लंबे बालों को डोनेट कर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया है।