केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल एवं बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे

उत्तराखंड (गढ़वाल)। चारधाम यात्रा पर देश भर से आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि भी तय हो गई है। अब चार धाम यात्रा पर आने वाले सभी तीर्थयात्री अपना शेड्यूल तय कर सकते हैं। विश्व प्रसिद्ध भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष मंगलवार 25 अप्रैल को प्रात: 6 बजकर 20 मिनट पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल जायेंगे। इससे पूर्व बसंत पंचमी के मौके पर बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित कर दी गई थी। इस वर्ष बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर खोले जाएंगे। नरेंद्रनगर स्थित राजदरबार में राजपुरोहितों द्वारा बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि का ऐलान किया गया था।
शनिवार शिवरात्रि के अवसर पर पंचकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में आयोजित धार्मिक समारोह में पूर्ण विधि-विधान से श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की गई। बद्रीनाथ धाम चमोली जिले में एवं केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं।
हर वर्ष अक्षय तृतीया को गंगोत्री- यमुनोत्री धाम के कपाट खुलते है इस वर्ष अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को है। मार्च माह में श्री गंगोत्री-यमुनोत्री मंदिर समिति द्वारा कपाट खुलने की तिथियों की विधिवत घोषणा की जायेगी। गंगोत्री व यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं। गंगोत्री नगर से 19 किमी दूर गोमुख है, जो गंगोत्री हिमानी का अन्तिम छोर है और गंगा नदी का उद्गम स्थान है। हर वर्ष पूरे देश भर के कोने-कोने से उत्तराखंड के चारों धामों में श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। वर्ष 2020 व वर्ष 2021 में कोरोना के चलते चार धाम यात्रा बाधित रही। कोरोना गाइडलाइन के कारण कम ही लोग धामों के दर्शन के लिए आए। लेकिन पिछले वर्ष पहली बार चारों धामों में रिकॉर्ड 45 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए। यात्रा को लेकर पिछले साल यात्रियों बेहद उत्साह देखा गया। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष भी अधिक से अधिक श्रद्धालु चारों धाम पहुंचेंगे। इसके लिए मंदिर समिति, स्थानीय प्रशासन एवं प्रदेश सरकार यात्रा की तैयारियों के लिए जुट गई है।
यात्रा से घूमता है गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिकी का पहिया

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का धार्मिक के साथ आर्थिक रूप से भी बड़ा महत्व है। कई स्थानीय व्यापारियों की रोजी रोटी इस यात्रा से जुड़ी होती है। इसी यात्रा से समूचे गढ़वाल की आर्थिकी का पहिया भी घूमता है और बड़ा राजस्व प्रदेश सरकार को मिलता है।

जोशीमठ आपदा को लेकर यात्रियों में भी संशय
क्योंकि बद्रीनाथ धाम का मुख्य पड़ाव जोशीमठ है और जोशीमठ स्थित सड़क से ही बद्रीनाथ धाम की यात्रा होती है। लेकिन जोशीमठ में धँसती जमीन और मकानों पर पड़ी बड़ी-बड़ी दरारों ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। ऐसे में बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों के मन में भी संशय बना हुआ है।
जोशीमठ में हजारों यात्री बद्रीनाथ यात्रा के दौरान रुकते हैं। ऐसे में सरकार के सम्मुख यात्रियों की ठहरने की व्यवस्था से लेकर यात्रियों की सुगम यातायात के प्रबंधन की भी कठिन चुनौती रहेगी। यात्रा शुरू होने में समय भी कम रह गया है। हालांकि प्रदेश सरकार विशेषज्ञों की टीम के साथ जोशीमठ की आपदा से निपटने के हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार का कहना है कि यात्रियों को बद्रीनाथ आने जाने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए सरकार यात्रा शुरू होने से पूर्व सुगम यात्रा की सारी व्यवस्थाएं कर देगी।

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