प्रो. पुरोहित ने उत्तराखंड की ढोल वाद्य शैली, पंडवाणी, भड़वार्ता, जागर, रम्माण, नंदा गीत आदि पर शोध कर उनके अकादमिक प्रचार प्रसार में निभाई अहम भूमिका
श्रीनगर। एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे प्रो.दादा राम पुरोहित साल 2021 के संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित हुए हैं।
उत्तराखंड की लोक कला, लोक संस्कृति के संरक्षण एवं सम्वर्धन में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार गुरुवार 23 फरवरी को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के हाथों प्राप्त हुआ। प्रोफेसर पुरोहित को देश के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर गढ़वाल विश्वविद्यालय सहित क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है। सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने वालों का सिलसिला लगातार जारी है।
मूल रूप से उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग के क्वीली गांव निवासी प्रो. डीआर पुरोहित वर्तमान में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र में एडर्जेट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहे हैं। 2006 में उन्होंने इस विभाग की स्थापना की थी और वर्ष 2007 से लेकर 2010 तक इसी विभाग में निदेशक भी रहे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में देश भर से चयनित प्रख्यात संगीतकारों, नर्तकों, लोक एवं आदिवासी कलाकारों और रंगकर्मियों को उनके विशिष्ट योगदान हेतु वर्ष 2019, 2020, 2021 के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। भारत में प्रदर्शन कला वर्ग में दिए जाने वाला यह सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार है।
आपको बता दें कि प्रख्यात शिक्षाविद व संस्कृतिकर्मी प्रो. पुरोहित 12 वर्ष की आयु से ही रंगमंच से जुड़ गए थे। उन्होंने अपने गांव में ड्रामा क्लब भी गठित किया। उनके निर्देशन में चक्रव्यूह, पांच भै कठैत, बुढदेवा, नंदा देवी राजजात के दर्जनों नाटक जगह जगह पर प्रस्तुत किए जा चुके हैं। विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्ति के बाद भी प्रो. पुरोहित विवि के लोक कला एवं निष्पादन केंद्र में एडर्जेट प्रोफेसर के रूप में सेवा देकर उत्तराखंड की लोक संस्कृति व उसके कलाकारों के संवर्धन के लिए समर्पित हैं। श्रीनगर के गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय में लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केन्द्र की अवधारणा एवम उसे मूर्त रूप देने का श्रेय भी प्रो. पुरोहित को जाता है। वह अभी भी उत्तराखंड में लोक नाट्य कलाओं की जड़ें सींचने के लिए निरंतर स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्यों, लेखन, निर्देशन एवं नए कलाकारों के मार्गदर्शन में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
उत्तराखंड की लोक कलाओं को अपने शोध कार्यों के माध्यम से पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाने के लिए उन्होंने जर्मनी की प्रतिष्ठित हाइडिलबर्ग युनिवर्सिटी से लेकर अमेरिका की प्रिंस्टन युनिवर्सिटी तक दुनियाभर की दर्जनभर विश्वविद्यालयों और संस्थानों में व्याख्यान दिए। प्रो. पुरोहित ने उत्तराखंड की ढोल वाद्य शैली, पंडवाणी, भड़वार्ता, जागर, रम्माण, नंदा के गीत और बादी बदीणों के गीतों पर शोध कर उनके अकादमिक प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस दौरान प्रो. डीआर पुरोहित के अलावा शास्त्रीय गायक छन्नू लाल मिश्र, लोक गायिका तीजन बाई, भजन गायक अनूप जलोटा समेत देश के कई प्रतिष्ठित कलाकारों को भी सम्मानित किया। अकादमी फेलो के सम्मान में तीन लाख की पुरस्कार राशि दी जाती है, जबकि अकादमी पुरस्कार में एक ताम्रपत्र के अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि दी जाती है।