विश्व गौरैया दिवस: शिक्षक पीयूष धस्माना गौरैया संरक्षण में दे रहे खामोशी से योगदान
श्रीनगर। घर के आंगन में कूदती, फुदकती और चीं चीं करती गौरैया कहीं गुम सी हो गई है। गौरैया की चहचहाहट हम सभी के दिनचर्या का एक हिस्सा हुआ करती थी। सुबह नींद खुलते ही इस पक्षी की चहचहाहट मन में प्रसन्नता के भाव जरूर लाती थी।
लेकिन बढ़ते शहरीकरण, अंधाधुंध पेड़ों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग आदि अनेकों कारणों से आज गौरैया के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
विश्व स्तर पर विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण स्थिति पर निगरानी रखने वाली सर्वोच्च संस्था अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने अपनी रेड लिस्ट में गौरैया को शामिल कर लिया है। जो कि चिंतनीय है।
जब भी गौरैया कहीं दिख जाए और उसकी चहचहाहट सुनाई दे तो मन में प्रसन्नता के भाव अवश्य उभर आते हैं। आज 20 दिसंबर को हर वर्ष विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। लेकिन यह दिवस केवल भाषणबाजी तक सीमित न रहे, इसलिए जरूरत है कि सभी लोग अपने अपने स्तर से गौरैया संरक्षण में योगदान करें। ताकि इस सुंदर सी छोटी चिड़िया को विलुप्त होने से बचाया जा सके। कुछ ही लोग हैं जो अपने व्यक्तिगत प्रयासों से इस सुंदर सी चिड़िया गौरैया के संरक्षण में खामोशी से योगदान दे रहे हैं। उनमें से एक नाम है जीआईसी स्वीत में कार्यरत भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता पीयूष धस्माना का। शिक्षक धस्माना गौरैया संरक्षण हेतु विद्यालय में गौरैया के लिए घोंसले बना रहे हैं। साथ ही वह लोगों को घोंसले गिफ्ट कर गौरैया संरक्षण हेतु जागरूक भी करते हैं। गौरैया संरक्षण हेतु उनकी कोशिशें दिखने में छोटी जरूर लग सकती हैं, लेकिन निसंदेह यह एक बड़ा प्रयास है। उनका कहना है कि आईयूसीएन की रेड लिस्ट लगातार बढ़ रही है। हम सभी को अपनी अपनी तरफ से गौरैया संरक्षण हेतु प्रयास करने चाहिए। शिक्षक महेश गिरी बताते हैं कि शिक्षक पीयूष धस्माना खामोशी से कार्य करने वाले अध्यापक हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों के साथ अपने छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वह गौरैया संरक्षण के लिए घोंसले बनाते हैं। छात्रों व अन्य लोगों को जागरूक करते हैं।
वर्ष 2010 से मनाया जाता है विश्व गौरैया दिवस
भारत की ‘नेचर फॉरएवर सोसायटी’ संस्था द्वारा वर्ष 2010 से गौरैया दिवस मनाने की पहल की गई थी। इस संस्था की स्थापना भारतीय जीव संरक्षण के लिए कार्य कर रहे मोहम्मद दिलावर द्वारा की गई थी।
विश्व गौरैया दिवस 2023 की थीम ‘आई लव गौरैया’ धरातल पर तभी चरितार्थ हो सकती है जब गौरैया को बचाने के लिए ठोस कार्य योजना बने। विकास के नाम पर हो रहे अंधाधुंध पेड़ों के कटान से पहले उतनी ही मात्रा में नए वृक्ष विकसित किए जाएं। साथ ही प्रदूषण आदि अन्य कारकों से इस जीव पर पड़ने वाले प्रभावों को दूर करने के त्वरित उपाय खोजे जाएं।
गौरैया पक्षी के बचाव के लिए कुछ सुझाव
गौरैया यदि आपके घर या आसपास घोंसला बनाएं तो उसे हटाए नहीं। रोजाना खिड़की, आंगन, दीवारों आदि जगहों पर चिड़िया के लिए दाना पानी रखें। गर्मियों के दिनों में घर के आसपास कई जगहों पर किसी बर्तन आदि में पानी अवश्य रखें।