भगत सिंह की तरह समाज की समस्याओं पर संघर्ष करने की जरूरत

श्रीनगर। भगत सिंह की शहादत दिवस के अवसर पर छात्र संगठन आइसा के नगर सम्मेलन में भगत सिंह के जीवन संघर्ष और भारत की नई शिक्षा नीति पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष व भाकपा माले के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि आज के नफरत और धार्मिक उन्माद भरे माहौल में भगत सिंह हमारे आदर्श है। भगत सिंह ने आजादी के आंदोलन के बीच में भी सांप्रदायिकता और छुआछूत जैसी समस्याओं पर खुल कर बोला और एक ऐसे भारत और दुनिया का सपना देखा जहां किसी भी इंसान के साथ भेदभाव न हो। लेकिन आज हम देख रहे है कि देश भर में डर का माहौल बनाया जा रहा है। हम सभी को इसके खिलाफ खुल कर बोलने की आवश्यकता है और लोकतंत्र को कमजोर करने वालों के खिलाफ समाज के हर वर्ग को मिलकर लड़ना होगा।
विवि की पूर्व छात्रा प्रतिनिधि शिवानी पाण्डेय ने कहा कि नई शिक्षा नीति से कमजोर और वंचित वर्ग के लोगों को शिक्षा से बाहर करने की कोशिश की जा रही। इस नीति का ही परिणाम है कि विश्वविद्यालयों की अकादमिक और आर्थिक स्वायत्ता को लगातार कमजोर कर सरकार अपनी विचारधारा थोपने का काम कर रही है। इस से न केवल शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है बल्कि शोध कार्य भी प्रभावित हो रहे है। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अंकित उछोली ने कहा कि भगत सिंह हम नौजवानों के हीरो है। हमारी पीढ़ी को भगत सिंह बनने की आवश्यकता है ताकि हम न केवल शिक्षा ग्रहण करें बल्कि भगत सिंह की तरह समाज की समस्याओं पर भी संघर्ष करें। छात्र संघ उपाध्यक्ष रॉबिन असवाल ने कहा कि हम युवाओं को देश के सवालों पर लड़ने की आवश्यकता है। ये लड़ाई केवल हमारी नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है।
कार्यक्रम में आइसा की नई नगर कार्यकारिणी को गठित किया गया। जिसमें अध्यक्ष वीरेंद्र वर्मा, सचिव समरवीर सिंह, उपाध्यक्ष अतुल रावत, सह सचिव प्रियंका खत्री, कोषाध्यक्ष हिमांशी नौटियाल को बनाया गया।कार्यक्रम में अनूप, सूरज साहनी, तुषार नेगी, सचिन, गुंजन, हिमानी, शिवांक नौटियाल, पंकज, आशुतोष नेगी आदि मौजूद थे।

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