जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव एवं नदियों के अतिक्रमण विषय पर हुई परिचर्चा में वक्ताओं ने पर्यावरण बचाने के लिए आमजन की सहभागिता को जरूरी बताया
श्रीनगर। विश्व पर्यावरण दिवस पखवाड़े के अवसर पर सेव हिमालय मूवमेंट एवं पर्वतीय विकास शोध केंद्र की ओर से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव एवं नदियों के अतिक्रमण विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वयोवृद्ध समाजसेवी भवानी रावत को समाजोत्थान सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ सर्जन डा. लोकेश सलूजा ने कहा कि हिमालय को बचाने के लिए सभी को पहल करनी चाहिए। हिमालय बचेगा तभी सब सुरक्षित रहेगा। पर्यावरण को बचाने के लिए प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही ठोस कार्ययोजना की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने पर्यावरण सुरक्षा के लिए हिमांचल सहित कुछ राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये हिमालयी राज्य पर्यावरण को बचाने के लिए सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
अवकाश प्राप्त कर्मचारी विकास संगठन के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सेव हिमालय मूवमेंट के अध्यक्ष समीर रतूड़ी ने कहा कि वयोवृद्ध समाजसेवी भवानी रावत ने कई जनांदोलनों में अपनी भागीदारी निभाई है। एक जुझारू महिला को इस वर्ष के सम्मान के लिए चुना गया। उन्होंने कहा कि अनियोजित विकास के कारण पहाड़ों से लगातार विस्थापन एवं पलायन की समस्या बढ़ती जा रही है। आमजन की सहभागिता के साथ विकास कार्य होने चाहिए। आज अधिकांश हिमालयी राज्यों के निवासियों का अधिकार उनके जल, जमीन, जंगल पर नहीं है। वयोवृद्ध समाजसेवी भवानी रावत ने कहा कि युवाओं को पर्यावरण की रक्षा के लिए आगे आना होगा। पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डा. अरविंद दरमोड़ा ने संचालन करते हुए कहा कि हिमालय शुद्ध ऑक्सीजन का भंडार है। हिमालय जलवायु को नियंत्रित कर रहा है हिमालय में हो रही छेड़छाड़ के कारण जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव हमें देखने को मिल रहे हैं। कार्यक्रम में राज्य आंदोलनकारी मदन मोहन नौटियाल, अंशीलाल, देवी प्रसाद, बसंती भट्ट, उदयराम लखेड़ा, मथुरा प्रसाद सिलोड़ी आदि मौजूद थे।