कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को यहां भगवान शिव साक्षात सपरिवार करते हैं वास

श्रीनगर गढ़वाल (मनोज उनियाल)। भगवान शिव के महात्म्य को अगर महसूस करना है तो कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी की पुण्य बेला पर चले आइये श्रीनगर गढ़वाल के कमलेश्वर मंदिर। इस तिथि को भगवान शिव साक्षात सपरिवार कमलेश्वर मंदिर में विराजते हैं। जहां पूरी रात हाथ में दीपक लेकर “खड़ा दिया “में शामिल निसंतान दंपतियों की सूनी गोद भगवान शिव अपने आशीर्वाद से अवश्य भरते हैं। वहीं सच्चे मन से कामना करने वालों को मनवांछित फल भगवान भोलेनाथ देते हैं।
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी की पावन बेला पर बैकुंठ चतुर्दशी पर्व श्रीनगर में 25 नवम्बर से शुरू हो जाएगा। हजारों श्रद्धालु बेसब्री से इस पर्व का इंतजार करते हैं।
खड़ा दिया (Khada Diya) अनुष्ठान की परंपरा
कमलेश्वर भगवान के महात्म्य की कहानी पुराणों में वर्णित है। देव असुर संग्राम के समय भगवान विष्णु जी ने असुरों के नाश हेतु अपने आराध्य देव महादेव की स्तुति की तथा कमलेश्वर महादेव में सहस्त्र कमल चढ़ाये और सुदर्शन चक्र की प्राप्ति की। यहां पर एक निसंतान दंपति भी हाथ में खड़ा दीपक लेकर पूरी रात कमलेश्वर महादेव की पूजा कर रहे थे। जिसके बाद निसंतान दंपति को भगवान शिव ने माता पार्वती के आग्रह पर संतान प्राप्ति का वरदान दिया था। तभी से इस मंदिर में खड़ा दिया अनुष्ठान की परंपरा चली आ रही है। 
भगवान राम ने त्रेता युग में इसी मंदिर में भगवान शंकर की सहस्त्रकमलों से पूजा की और भगवान शंकर को प्रसन्न किया। द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने भी जामवंती के कहने पर यह व्रत किया था। 
खड़ा दिया अनुष्ठान में शामिल होने के लिए 150 से अधिक पंजीकरण
बैकुंठ चतुर्दशी पर्व निसंतान दंपतियों के लिए आशा की किरण लेकर आता है कई जगह से निराश होकर संतान प्राप्त की चाह में देश भर से कई निसंतान दंपति खड़ा दिया अनुष्ठान में शामिल होने के लिए यहां पहुंचते हैं। कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि इस वर्ष 150 से अधिक निसंतान दंपतियों ने खड़ा दिया अनुष्ठान में शामिल होने के लिए पंजीकरण कराया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 से अब अब तक पंजीकृत आंकड़ों के अनुसार सैकड़ो निसंतान दंपतियों की सूनी गोद यहां पर भगवान शिव के आशीर्वाद से भर चुकी है। निसंतान दंपति मंदिर में हाथ में दीपक लेकर पूरी रात खड़े होकर गुजारते हैं। प्रातः4:00 बजे अलकनंदा नदी में पहुंचकर खड़े दिए का व्रत रखने वाले दंपति स्नानादि करते हैं। उसके बाद मंदिर परिसर में सामूहिक पूजन होता है साथ ही कमलेश्वर मंदिर में इस दिन दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचकर अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए भगवान के समक्ष 365 बातियों का दीप जलाते हैं। ऐसे कई श्रद्धालु हैं जो खड़े दिए में शामिल दंपतियों का साथ निभाना अपने लिए सौभाग्य मानते हैं और पूरी रात खड़े दिए में शामिल दंपतियों का सहयोग करते हैं। 
3 वर्ष बाद लग रहा है बैकुंठ चतुर्दशी का मेला
इस वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी का मेला 3 वर्ष बाद आयोजित हो रहा है।जिससे क्षेत्र के लोग मेले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। स्थानीय विधायक कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह रावत लगातार प्रशासन के साथ बैठक कर मेले को पूर्ण भव्यता के साथ आयोजित करने के लिए प्रयासरत हैं उन्होंने कहा कि मेले के लिए धन की कोई कमी नहीं है। आवास विकास की खाली पड़ी भूमि पर झूले चरखी आदि की व्यवस्था की जा रही है। वहीं एनआईटी के खेल मैदान में रात्रि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। बैकुंठ चतुर्दशी मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री के द्वारा कराया जाएगा साथ ही मेले में सुप्रसिद्ध कलाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है। वहीं उप जिलाधिकारी नूपुर वर्मा मेले के सफल संचालन के लिए रात दिन एक कर समस्त व्यवस्थाओं में जुटी हुईं हैं।
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