गर्भ गृह में फोटो खिंचवाना अनुचित
श्रीनगर। ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ गर्भ गृह में सोने की परत चढाये जाने के विवादित प्रकरण पर कहा कि भगवान से धोखाधड़ी होना, यह पहली बार सुना जा रहा है। इस प्रकरण को एक वर्ष से अधिक समय बीत गया, जांच कमेटी बनने के बाद बात केवल जांच तक ही अटकी है। जांच कमेटी के मेंबर जांच को लेकर स्पष्ट नहीं बता रहे हैं। इस खुलासे को लेकर मंदिर समिति अभी तक अक्षम रही है। जिसने भी यह धोखाधड़ी की है उसका चेहरा सामने आना जरूरी है।
शीतकालीन पूजा के लिए भ्रमण पर निकले ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद गुरुवार को श्रीनगर स्थित डालमिया धर्मशाला में विश्राम हेतु पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों पर कहा कि गर्भ गृह में फोटो खिंचवाना अनुचित है। प्राण प्रतिष्ठित जितने भी विग्रह हैं, उनका चित्र नहीं लेना चाहिए। चित्र खींचने से कोई पुण्य नहीं मिलता है। मंदिर का चित्र लिया सकता है।

भव्यता के साथ दिव्यता का रखे ख्याल
बद्रीनाथ मास्टर प्लान पर उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ धाम लोग इसलिए नहीं आते की वहां बहुत बड़ा व भव्य मंदिर है। उसकी दिव्यता के लिए लोग वहां आते हैं। किसी भी जगह की भव्यता तो सब लोग मिलकर बना सकते हैं लेकिन उसकी दिव्यता बनाने के लिए बड़ी त्याग और तपस्या करनी पड़ती है हमारे पूर्वजों ने वह किया है, वहां जो भी नवनिर्माण किया जाए वह धर्म शास्त्रियों की राय लेकर किया जाए।

शीतकालीन यात्रा करेंगे प्रारंभ

उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में रहने वाले सनातन धर्मियों में धारणा बन गई है कि उत्तराखंड के चार धामों में कपाट बंद होने के बाद पूजा बंद हो जाती है। 6 महीने ही दर्शन और पूजा करने का पुण्य मिलता है। यह धारणा मेरी दृष्टि से गलत है, क्योंकि भगवान की पूजा एक दिन भी नहीं रोकी जा सकती। वैकल्पिक स्थान पर देवताओं की पूजा चलती रहती है। इस धारणा को बदलने के लिए हम स्वयं शीतकाल में यात्रा प्रारंभ करेंगे। शीतकालीन जो स्थान है चार धाम के, वहाँ दर्शन पूजन करेंगे। श्रद्धालु पूरे साल इन स्थान पर आकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

टनल हादसे को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तरकाशी के सिलक्यारा में हुए टनल हादसे को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कई बार ऐसे हादसे हो रहे हैं और किसी भी घटना से हम कुछ सबक नहीं ले रहे हैं।

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