ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय और वाद विवाद संगठन डेबसौक द्वारा राष्ट्रीय युवा संसद का आयोजन

देहरादून। मौलिक अधिकारों पर चर्चा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय और वाद विवाद संगठन डेबसौक द्वारा राष्ट्रीय युवा संसद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि ग्राफिक एरा विवि के मानविकी व सामाजिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो (डॉ.) प्रभा लामा, विभाग संयोजक डॉ. रिचा थपलियाल एवं संकाय समन्वयक डॉ. गौरव डिमरी व नवीन नवल ने दीप प्रज्ज्वलित कर विवि परिसर में कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
युवा संसद में 15 विधेयक पेश किए गए, जिन पर छात्रों के बीच विस्तृत चर्चा हुई। सात विधेयकों को चर्चा के लिए स्वीकार किया गया और चार महत्वपूर्ण कानून युवा संसद द्वारा पारित हुए। समानता का अधिकार अधिनियम 1947, सूचना का अधिकार विधेयक 1947, व्यापक यौन शिक्षा का अधिकार अधिनियम 1947, और राहत का अधिकार अधिनियम 1947। डॉ. मनस्वी सेमवाल सभा अध्यक्ष, डॉ. अंजलि शर्मा और डॉ. एस. श्रीनिवासन उपाध्यक्ष की भूमिका में रहे। जिससे संसदीय कार्यवाही का सुचारू संचालन सुनिश्चित हुआ।
अनुकरणीय योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि का पुरस्कार संविधान सभा में रामनाथ गोयनका का प्रतिनिधित्व करने वाले डी.ए.वी (पी.जी) कॉलेज देहरादून के अक्षय शर्मा को दिया गया। भवनजी अर्जन खिमजी का प्रतिनिधित्व कर रहे यूपीईएस के अविनाश वशिष्ठ को उनके उत्कृष्ट प्रतिनिधित्व के लिए सम्मानजनक उल्लेख प्राप्त हुआ। शुभराज चौधरी और एमए सैंटोस ने कार्यक्रम का संचालन किया। विभागाध्यक्ष प्रो (डॉ.) प्रभा लामा ने कहा कि ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय ऐसे माहौल को बढ़ावा दे रहा है जहां छात्र महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर विचारों को आकार देने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। राष्ट्रीय युवा संसद ने युवा दिमागों को सार्थक चर्चा में शामिल होने और भविष्य के नेताओं के विकास में योगदान देने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

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