जनकल्याण हेतु महंत आशुतोष पूरी महाराज द्वारा दिगंबर अवस्था में लोट परिक्रमा कर की गई शिव स्तुति
भोलेनाथ को लगाए 52 प्रकार के व्यंजनों के विशेष भोग
श्रीनगर। माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि (अचला सप्तमी) पर पूर्ण विधि विधान और भव्यता के साथ कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृत कमल पूजा संपन्न हुई। इस अवसर पर भोले के जयकारों के साथ समाज में व्याप्त बुराइयों के शमन और जनकल्याण हेतु महंत आशुतोष पुरी महाराज द्वारा परंपरानुसार दिगंबर अवस्था में लोट परिक्रमा कर शिव स्तुति की गई।
घृत कमल के विशिष्ट आयोजन को देखने के लिए गुरुवार को रात्रि 8 बजे से काफी संख्या में भक्त कमलेश्वर मंदिर परिसर में पहुंचने लगे। देर रात्रि संपन्न हुए इस आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए घी से कमलेश्वर मंदिर के शिवलिंग को पूरी तरह से ढककर महंत आशुतोष पुरी महाराज के सानिध्य में विशेष पूजा संपन्न हुई। घृत कमल पूजा के दौरान 52 प्रकार के व्यंजनों का विशेष भोग भगवान शिव को लगाया गया। आयोजन को संपन्न करने में कई पुजारियों ने सहयोग दिया।
घृत कमल पुजा का महात्म्य
कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि आदि काल से चली आ रही घृत कमल पूजा माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को पूरे विधि विधान के साथ संपन्न की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नामक राक्षस ने ब्रह्मा जी से यहां वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु न हो ब्रहमा जी ने कहा ऐसा तो संभव नहीं है कुछ और वरदान मांगो तो तारकासुर ने यहा बुद्धि लगाई की मैं शिव के पुत्र से ही मरूं क्योंकि उसे पता था कि माता पार्वती के सती हो जाने पर शिवजी दूसरा विवाह करेंगे नहीं और उनके कोई पुत्र होगा नही तो मै कभी मरूंगा नहीं तो ब्रह्मा जी ने उसको यहा वरदान दे दिया।
वरदान प्राप्त करने के बाद तारकासुर ने समस्त ब्रह्माण्ड में देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया समस्त देवताओं ने भगवती की शरण ली माता ने कहा वहा हिमालय पुत्री के रूप में जन्म लेंगी अब सभी देवताओं ने शिव जी को ध्यान से जगाने के लिए कामदेव को भेजा जब कामदेव ने शिवजी की तपस्या में विघ्न पैदा किया तो शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया उसकी पत्नि रति शिवजी के समक्ष रोने लगी और कहा सभी देवताओं के आग्रह पर आपकी तपस्या में विघ्न डालने के लिए मेरे पति को बोला इसमें मेरे पति का कोई दोष नहीं है।
शिवजी का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने द्वापर युग में कामदेव को अनिरुद्ध के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया अब शिवजी कमलेश्वर महादेव लिंग में समाहित हो गये सभी देवताओं ने कमलेश्वर महादेव जी मे शिवजी को विवाह हेतु मनाने के लिए पुजा करी जिस प्रकार एक तपस्या में रत साधक को विवाह हेतु मनाने के लिए एक विवाह का माहौल बनाया जाता है वहि माहौल बनाया गया यहां पूजा देवताओं ने करी जिसमे 3सांग पांग 18आवरण पुजा एवं घृत से शिव लिंग को ढकना ब्यावन व्यंजनो का भोग उनकी कामास्क्त भावना को जागृत करने के लिए किया गया कालांतर में यहां पुजा कमलेश्वर महादेव जी के श्री महंत पर आ गई जिसमें तारकासुर रुपी समाज की बुराईयों के शमन एवं जगत कल्याण हेतु दिगम्बर अवस्था में लोट परिक्रमा करते हैं।