“National Drama Festival”
Khalid ki khala
कलाकारों के सधे और मंझे हुए अभिनय से राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की पहली शाम बनी यादगार
श्रीनगर। राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के उद्घाटन सत्र पर आयोजित नाटक खालिद की खाला की प्रस्तुति ने उपस्थित दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। थिएटरलीला दिल्ली के कलाकारों के मंचन ने ऐसा समां बांधा कि जितनी देर तक यह हास्य से भरपूर नाटक चला उतनी देर तक हॉल ठहाकों से गूंजता रहा। सभी कलाकारों के हिस्से में जमकर तालियां आई।
जश्न-ए-विरासत की टीम की पहल पर आयोजित सातवें राष्ट्रीय महोत्सव का शुभारंभ देवप्रयाग विधानसभा के विधायक विनोद कंडारी, संस्कृतिकर्मी तथा गढ़वाल विवि में लोक कला निष्पादन केंद्र के प्रणेता प्रो.डीआर पुरोहित ने किया। जश्ने विरासत 2024 की पहली शाम कलाकारों के उम्दा प्रदर्शन से खासमखास बन गई। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के मिनी ऑडिटोरियम में दर्शकों से खचाखच भरे हॉल में दर्शक बस गुदगुदाते नजर आए।
वरूण शर्मा निर्देशित नाटक खालिद की खाला में दर्शक जितने उत्साह के पहुंचे थे, कलाकारों ने भी अपनी भरपूर ऊर्जा से पूरे एक घंटे तक उनका मनोरंजन किया।
श्रीनगर क्षेत्र में रंगकर्म प्रेमियों की पहल पर आयोजित सातवें जश्ने विरासत की शाम देखने लायक रही। हाउस फुल शो के लिए पास लेकर पहुंची दर्शकों की भीड़ इस मौके पर गवाह बनी। चुटीले संवादों तथा मनोरंजक दृश्यों को कलाकारों की कला ने बखूबी अंजाम तक पहुंचाया। दूसरे शब्दों में कहें, तो खालिद की खाला नाटक कलाकार
नुसरत बनी नम्रता, खालिद की भूमिका में संभव गुप्ता, सुरैया की भूमिका दिव्या पटेल, अहमद राहुल, रूकसाना सिमरन, बेगम की भूमिका में हस्मिता, फकीरा चैतन्य तथा सत्येन ने अपनी-अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया और दर्शकों को खूब हॅंसाया। बाबा खान की भूमिका निभा रहे मानस राज ने जबरदस्त रंगमंचीय प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।
नाटक का कथानक
नाटक का कथानक गोविंदा अभिनीत बॉलीवुड की फिल्म आंटी नं 1 की ही कहानी है, जिसमें खालिद और अहमद दो दोस्त हैं। इन दोनों को जिन लड़कियों से प्रेम है, वो दोनों चचेरी बहनें नुसरत तथा सुरैया हैं। सुरैया की जिम्मेदारी भी नुसरत के पिता ही देखते हैं। अहमद के पिता तथा नुसरत के पिता दोनों ही आशिक मिजाज हैं, जिनका मन खालिद और अहमद के साथी बाबा खान पर आ जाता है। बाबा खान का काम ही अभिनय है, सो वह अपने दोनों साथियों के प्रेम के लिए बलि का बकरा बनने के लिए तैयार हो जाता है और इंडोनेशिया से भारत पहुंच रही खालिद की खाला बन जाता है। पूरे नाटक को जितने अच्छे ढंग से निर्देशित किया गया था उतने ही शानदार ढंग से सभी कलाकारों ने अपने सधे और मंझे हुए अभिनय से राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की पहली शाम को यादगार बना दिया।