Phuldei Festival uttrakhand
बच्चों को प्रकृति से जोड़ता है यह बाल पर्व

श्रीनगर। चैत्र माह के आगमन पर प्रकृति से जुड़ाव का लोक पर्व फूलदेई (फूलसंग्राद) का आगाज गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी भव्य शोभा यात्रा के साथ किया गया। फूलदेई संचालन समिति द्वारा बच्चों संग सुबह 6 बजे नागेश्वर महादेव मंदिर से नगर क्षेत्र में भव्य शोभायात्रा निकाली गई और लोगों के घरों की देहरियों पर फूल डाले गए।
उत्तराखंड का लोक पर्व फूलदेई
गढ़वाल एवं कुमाऊं में धूमधाम से मनाया जाता है। प्रकृति से जुड़ाव का यह अनूठा बाल पर्व बच्चों को प्रकृति के साथ जोड़ता है। एक माह तक चलने वाले इस पर्व पर बच्चे सुबह जल्दी उठकर रंग-बिरंगे फूलों को अपनी टोकरी में भरकर लोगों की देहरियों पर डालते हैं। इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है।

बच्चों पर पड़ता है सकारात्मक प्रभाव
वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो बच्चों पर इस पर्व को मनाने का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चे सुबह जल्दी उठकर प्रकृति की स्वच्छ आबो हवा में घूमते फिरते हैं। इससे प्रकृति के साथ जहां उनका लगाव बढ़ता है वहीं उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।

फुलदेई संचालन समिति के प्रयासों से कार्यक्रम भव्य रूप से हो रहा आयोजित
फुलदेई संचालन समिति के प्रयासों से शहर क्षेत्र में भव्यता से मनाए जाने के कारण इस पर्व को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहा। इस अवसर पर स्वांणी फुलारी प्रतियोगिता आकर्षण का केंद्र रही। साथ ही शॉर्ट वीडियो प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसके परिणाम बाद में जारी किए जाएंगे। इस अवसर पर महंत नितिन पुरी ने कहा कि बच्चों को अपने संस्कारों से जोड़ा जा रहा है, जो की बेहद सराहनीय पहल है। इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी अश्विनी रावत, अनूप बहुगुणा, महेश गिरी, गिरीश पैन्यूली, जितेंद्र रावत, प्रमिला भंडारी, मुकेश काला, मनीष कोठियाल, सुधीर जोशी, रेखा रावत, विनीत पोस्ति, पारुल कपूर आशा पैन्यूली, पूनम रतूड़ी, अभिषेक बहुगुणा, सुधीर डंगवाल, हिमांशु बहुगुणा आदि के प्रयासों से इस आयोजन को पूर्ण भव्यता के साथ संपन्न किया गया।

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