प्रदेश की सबसे हॉट सीट बनी श्रीनगर नगर निगम मेयर सीट के नतीजे पर सबकी नजर

श्रीनगर। बंटोगे तो कटोगे, एक हैं तो शेफ हैं, यह नारा देश में भाजपा की राजनीति के लिए भले ही हिट हो रहा हो, लेकिन भाजपा श्रीनगर के लिए यह नारा खुद पर फिट नहीं बैठा। पहली बार अस्तित्व में आई गढ़वाल की नगर निगम श्रीनगर मेयर की सीट पर टिकट के लिए हुए घमासान के बाद यहाँ श्रीनगर भाजपा के नेता खुद बँट गए और मेयर सीट के प्रबल दावेदारों के टिकट कट गए। अब न एक हैं न शेफ हैं।

सामान्य से महिला आरक्षित हुई नगर निगम श्रीनगर की मेयर सीट पर भाजपा ने पैराशूट प्रत्याशी के तौर पर पूर्व पालिका अध्यक्ष रहे बिपिन चंद्र मैठाणी की बहन आशा उपाध्याय को मेयर का टिकट देकर सबको चकित कर दिया। वहीं भाजपा से प्रबल दावेदार रहे लखपत भंडारी की पत्नी आरती भंडारी ने अपने समर्थकों के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मेयर सीट के लिए नामांकन पत्र भरकर हुंकार भर दी है। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पूर्व पालिका अध्यक्ष रही पूनम तिवारी और कांग्रेस से मीना रावत के मैदान में होने से नगर निगम श्रीनगर में मेयर पद के लिए होने वाला चुनाव बेहद रोमांचक रहने वाला है।

प्रदेश की राजनीति में नगर निगम श्रीनगर मेयर की सीट सबसे हॉट सीट के तौर पर उभरी है। जानकार मानते हैं कि स्थानीय विधायक एवं कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह रावत के लिए नगर निगम श्रीनगर मेयर की सीट को अपनी पार्टी के पक्ष में करना किसी परीक्षा से कम नहीं होगा।

आपसी खींचतान में नहीं हो सका पार्टी नेताओं का टिकट फाइनल
श्रीनगर में आपसी खींचतान के चलते भाजपा पार्टी अपने किसी नेता का नाम फाइनल नहीं कर पाई। आनन-फानन में यह सीट सामान्य से महिला घोषित हो गई। भाजपा के वरिष्ठ नेता लखपत सिंह भंडारी नगर निगम श्रीनगर मेयर सीट पर पूर्व से तैयारी में जुटे थे। नगरवासियों के बीच फायर ब्रांड नेता के रूप में उन्होंने अपनी छवि भी बना ली थी और उनका टिकट भी तय माना जा रहा था। लेकिन किसी एक दावेदार पर सहमति न बनने के कारण भाजपा श्रीनगर में असमंजस की स्थिति में फंस गई। पार्टी पर्यवेक्षकों द्वारा किए गए सर्वे में उनके बाद जो नाम हर दूसरे व्यक्ति के मुंह से सुनाई दिया वह नाम पूर्व पालिका अध्यक्ष बिपिन चंद्र मैठानी का रहा।

पूर्व पालिका अध्यक्ष मैठाणी के विनम्र स्वभाव के शहरवासी कायल हैं। पिछली बार नगर पालिका श्रीनगर में उन्होंने अपनी बहन आशा उपाध्याय को चुनाव मैदान में उतारा था। जिनको चुनाव में अच्छे खासे वोट प्राप्त हुए थे। भाजपा ने उन्हें पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दिया है। लेकिन रविवार को लखपत भंडारी ने बागी तेवर दिखाते हुए अपनी पत्नी आरती भंडारी का नामांकन कर भाजपा के माथे पर बल डाल दिये। उनकी रैली में उमड़े विशाल जन समूह ने दिखा दिया कि, भाजपा के लिए यह जंग आसान नहीं रहने वाली।

क्या पूनम तिवारी के प्रति लोगों में रहेगी सिंपैथी? 
कुछ लोगों का मानना है कि पालिका अध्यक्ष का  कार्यकाल पूर्ण न करने देने के कारण पूर्व पालिका अध्यक्ष रही पूनम तिवारी के प्रति लोगों में सहानुभूति हो सकती है। अपने कार्यकाल के दौरान पूनम तिवारी ने शहर में कई विकास कार्य कराए। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने नगर वासियों के मन में अपने लिए खास जगह बनाई है। निसंदेह कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता रहे प्रदीप तिवारी की पत्नी पूनम तिवारी नगर निगम श्रीनगर सीट पर मेयर पद की दमदार प्रत्याशी हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान यदि वह कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ते तो इस चुनाव में अधिक फायदे में रहते।

समर्पित कार्यकर्ता रही हैं मीना रावत
कांग्रेस पार्टी से मेयर पद की प्रत्याशी मीना रावत कांग्रेस की समर्पित कार्यकर्ता रही हैं। उनके नाम पर सभी कांग्रेसजनों ने एक सुर में सहमति जताई। निसंदेह कांग्रेस कार्यकर्ता तन मन धन से अपनी पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में मेहनत करेंगे। श्रीनगर नगर निगम के अंतर्गत कांग्रेसी कैडर वोट का अच्छा परसेंटेज होने और उनकी सादगी समर्पण के कारण वह भी पूरी टक्कर में हैं। लेकिन संगठन और बूथ मैनेजमेंट के लिए कांग्रेस को बहुत मेहनत की जरूरत है। जबकि भाजपा का संगठन और बूथ मैनेजमेंट जबरदस्त रहता है।
अब देखना रोचक रहेगा की श्रीनगर की राजनीति श्रीनगर में क्या गुल खिलाती है और पहले मेयर पद का सेहरा किसके सिर सजाती है।

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